मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

सेबी (SEBI) का गठन और इसकी भूमिका

 ### सेबी (SEBI) का गठन और इसकी भूमिका


**भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)** भारत में वित्तीय बाजारों को विनियमित करने वाली प्रमुख संस्था है। इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना, बाजार में धोखाधड़ी को रोकना और एक पारदर्शी और सुव्यवस्थित वित्तीय प्रणाली सुनिश्चित करना है। SEBI का गठन 1988 में हुआ और 1992 में इसे वैधानिक संस्था का दर्जा दिया गया।


### SEBI का गठन


#### **1. गठन का कारण:**

- 1980 के दशक में भारतीय शेयर बाजार में अनियमितताओं और धोखाधड़ी की कई घटनाएँ सामने आईं। कई कंपनियाँ निवेशकों से पैसा इकट्ठा करने के बाद गायब हो गईं, और निवेशक बिना किसी सुरक्षा के रह गए।

- इस अनियमितता और धोखाधड़ी के माहौल में निवेशकों का विश्वास टूटने लगा, और वित्तीय बाजार अस्थिरता की स्थिति में आ गया। इस स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सरकार को एक सख्त और स्वतंत्र निकाय की जरूरत महसूस हुई।

  

#### **2. प्रारंभिक गठन (1988):**

- **1988** में SEBI की स्थापना एक गैर-वैधानिक निकाय के रूप में की गई, जिसका उद्देश्य शेयर बाजार की निगरानी और विनियमन करना था। यह तब एक सलाहकार भूमिका में था और इसके पास कानूनी अधिकार सीमित थे।


#### **3. वैधानिक दर्जा (1992):**

- **4 अप्रैल 1992** को भारतीय संसद ने **SEBI अधिनियम, 1992** पारित किया, जिससे SEBI को वैधानिक निकाय का दर्जा मिला। इसके साथ ही इसे बाजार के विनियमन और नियंत्रण के लिए कानूनी अधिकार प्राप्त हुए। SEBI को यह अधिकार मिला कि वह नियम और दिशानिर्देश बना सके, जिससे भारतीय प्रतिभूति बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके।


### SEBI की भूमिका


SEBI का मुख्य उद्देश्य भारतीय पूंजी बाजार को सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। यह शेयर बाजार और अन्य वित्तीय संस्थाओं को नियमित करता है। SEBI की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:


#### 1. **निवेशकों की सुरक्षा**

- SEBI का प्राथमिक कार्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना है। यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ और वित्तीय संस्थाएँ निवेशकों के साथ धोखाधड़ी न करें।

- SEBI कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले IPOs, FPOs और अन्य प्रतिभूतियों से जुड़ी प्रक्रियाओं की निगरानी करता है ताकि निवेशकों को सही और पूरी जानकारी मिल सके।

- यदि कोई निवेशक धोखाधड़ी का शिकार होता है, तो SEBI को उस कंपनी या संस्था के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है।


#### 2. **शेयर बाजार का विनियमन और निगरानी**

- SEBI भारतीय शेयर बाजारों जैसे **BSE** और **NSE** की निगरानी करता है और सुनिश्चित करता है कि वे सुचारू रूप से और निष्पक्षता से काम कर रहे हों।

- यह शेयरों, बॉन्ड, डेरिवेटिव्स और अन्य वित्तीय उपकरणों में होने वाली ट्रेडिंग पर कड़ी निगरानी रखता है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता या इनसाइडर ट्रेडिंग न हो।

- SEBI सुनिश्चित करता है कि शेयर बाजार की गतिविधियाँ निवेशकों के लिए पारदर्शी और सुलभ हों, और सभी प्रतिभागियों को समान अवसर मिलें।


#### 3. **बाजार की पारदर्शिता और विकास**

- SEBI बाजार में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए नियम और दिशानिर्देश जारी करता है। इसका उद्देश्य बाजार में निष्पक्षता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना है।

- SEBI समय-समय पर बाजार में सुधार लाने के लिए नई नीतियाँ और दिशानिर्देश पेश करता है, जिससे बाजार की कार्यप्रणाली में दक्षता आए।

  

#### 4. **धोखाधड़ी और अनियमितताओं की रोकथाम**

- SEBI निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों और ब्रोकरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है। यह इनसाइडर ट्रेडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, और अन्य प्रकार की वित्तीय धोखाधड़ी को रोकने के लिए सख्त नियम लागू करता है।

- यदि कोई कंपनी या संस्था निवेशकों को गुमराह करती है या नियमों का उल्लंघन करती है, तो SEBI उसे दंडित करने और प्रतिबंधित करने का अधिकार रखता है।


#### 5. **निवेशकों की शिक्षा और जागरूकता**

- SEBI निवेशकों की वित्तीय साक्षरता और जागरूकता को बढ़ाने के लिए कई पहल करता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि निवेशक समझदारी से और सही जानकारी के आधार पर निवेश निर्णय लें।

- SEBI विभिन्न माध्यमों से निवेशकों को शिक्षित करने के लिए अभियान चलाता है, जिससे वे अपनी पूंजी की सुरक्षा कर सकें और बाजार की अनियमितताओं से बच सकें।


#### 6. **निजीकरण और विनिवेश का प्रबंधन**

- SEBI सरकार द्वारा किए गए निजीकरण और विनिवेश प्रक्रियाओं की देखरेख करता है, ताकि यह प्रक्रिया निवेशकों के लिए पारदर्शी और न्यायसंगत हो।

- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इन प्रक्रियाओं में कोई भी अनियमितता न हो और सभी नियमों का पालन किया जाए।


#### 7. **कॉर्पोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता**

- SEBI कंपनियों में अच्छे कॉर्पोरेट गवर्नेंस को बढ़ावा देता है। यह कंपनियों के लिए सख्त खुलासा मानकों को लागू करता है ताकि निवेशकों को कंपनियों के वित्तीय प्रदर्शन और गतिविधियों की सटीक जानकारी मिल सके।

- यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ समय पर वित्तीय रिपोर्ट पेश करें और सभी आवश्यक कानूनी आवश्यकताओं का पालन करें।


### SEBI द्वारा उठाए गए कुछ प्रमुख कदम


- **इनसाइडर ट्रेडिंग पर प्रतिबंध:** SEBI ने इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई शामिल है, जो गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करके ट्रेडिंग करते हैं।

- **IPO और अन्य निर्गम की पारदर्शिता:** SEBI ने IPO और FPO प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिससे निवेशकों को उचित जानकारी मिल सके।

- **म्यूचुअल फंड नियमन:** SEBI म्यूचुअल फंडों की कार्यप्रणाली की भी निगरानी करता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे निवेशकों को सही जानकारी दें और उनकी पूंजी की सुरक्षा करें।


### निष्कर्ष


**SEBI** ने भारतीय शेयर बाजार में अनुशासन, पारदर्शिता और निवेशकों के विश्वास को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके विनियमों और नियमों ने बाजार की स्थिरता सुनिश्चित की है और निवेशकों को बेहतर सुरक्षा प्रदान की है। SEBI का उद्देश्य एक निष्पक्ष, पारदर्शी, और कुशल वित्तीय प्रणाली को विकसित करना है, जिससे भारतीय पूंजी बाजार का विकास और विस्तार हो सके।

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