सोमवार, 21 अक्टूबर 2024

भारत में शेयर बाजार की शुरुआत: कब, कहाँ और कैसे

 **भारत में शेयर बाजार की शुरुआत** 19वीं शताब्दी में हुई थी। इसका इतिहास काफी पुराना है, और इसका विकास धीरे-धीरे एक संगठित प्रणाली में हुआ। भारत में शेयर बाजार की स्थापना और इसके विकास की पूरी जानकारी इस प्रकार है:


### 1. **भारत में शेयर बाजार की शुरुआत**:


#### 1.1. **बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) – 1875**:

   - **बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज** (BSE) भारत का सबसे पुराना और एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज है। इसकी स्थापना **1875** में मुंबई में हुई थी।

   - BSE की शुरुआत एक अनौपचारिक रूप में हुई, जब मुंबई में 22 शेयर दलाल (ब्रोकर) **दलाल स्ट्रीट** नामक स्थान पर एक बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठा होकर शेयरों की खरीद-बिक्री करते थे। इसे एक संगठित और औपचारिक रूप से विकसित होते हुए बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के रूप में जाना जाने लगा।

   - शुरुआत में, केवल कुछ कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग होती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसमें अधिक कंपनियाँ शामिल हुईं और शेयर बाजार का विस्तार हुआ।

   - BSE का औपचारिक रूप से पंजीकरण 1875 में हुआ और यह भारत का पहला शेयर बाजार बना। आज, यह दुनिया के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है।


#### 1.2. **BSE की संरचना और भूमिका**:

   - शुरुआत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एक क्लब की तरह संचालित होता था, जिसमें केवल सदस्य ब्रोकरों को ही शेयरों की ट्रेडिंग की अनुमति थी। 1928 में BSE को एक स्थायी इमारत मिली, जिससे इसे और अधिक संगठित किया गया।

   - BSE ने भारत में **औद्योगिक क्रांति** के दौरान कंपनियों को पूंजी जुटाने का मंच प्रदान किया। भारतीय कंपनियाँ बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से शेयर जारी करके पूंजी जुटाने लगीं।

   - BSE में शेयरों की ट्रेडिंग धीरे-धीरे विकसित होती गई और यह भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने लगा।


### 2. **भारत में अन्य प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना**:


#### 2.1. **नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) – 1992**:

   - **नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)** की स्थापना 1992 में हुई थी और इसे 1994 में आम जनता के लिए खोला गया। यह भारत का दूसरा प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज है, जिसने भारतीय शेयर बाजार को एक आधुनिक और तकनीकी रूप दिया।

   - NSE की स्थापना का मुख्य उद्देश्य शेयर बाजार में पारदर्शिता और कुशलता लाना था। यह पूरी तरह से **कंप्यूटर आधारित** स्टॉक एक्सचेंज है और इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग की सुविधा दी गई।

   - NSE ने पारंपरिक ट्रेडिंग की जगह ली, जहाँ ट्रेडिंग फ्लोर पर ब्रोकर मिलकर सौदे करते थे। अब निवेशक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से शेयरों की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।

   - NSE ने **निफ्टी 50** नामक प्रमुख सूचकांक (Index) की शुरुआत की, जिसमें भारत की 50 प्रमुख कंपनियों के शेयर शामिल होते हैं। यह सूचकांक भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाता है।


#### 2.2. **कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज (CSE)**:

   - **कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज** की स्थापना 1908 में हुई थी। यह भारत का तीसरा सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है।

   - यह मुख्य रूप से पूर्वी भारत की कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन BSE और NSE की बढ़ती लोकप्रियता के कारण इसका महत्व कम हो गया।


### 3. **भारत में शेयर बाजार का विकास**:


#### 3.1. **ब्रिटिश काल में शेयर बाजार**:

   - ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय कंपनियों और ब्रिटिश कंपनियों ने शेयर बाजार का उपयोग पूंजी जुटाने के लिए किया। शुरुआती दौर में, शेयर बाजार में ज्यादातर ब्रिटिश कंपनियाँ और व्यापारिक घराने शामिल थे।

   - **टाटा**, **बिरला**, और **डालमिया** जैसे भारतीय व्यापारिक घराने भी इस समय के दौरान उभरे और उन्होंने शेयर बाजार में पूंजी जुटाने का तरीका अपनाया।


#### 3.2. **स्वतंत्रता के बाद**:

   - भारत की स्वतंत्रता के बाद, देश में आर्थिक विकास के लिए शेयर बाजार का महत्व और भी बढ़ गया। 1950 और 1960 के दशक में कई सरकारी कंपनियाँ और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से पूंजी जुटाई।

   - 1980 के दशक में निजी क्षेत्र के विकास के साथ, कई भारतीय कंपनियाँ शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुईं। इसके साथ ही, छोटे और मध्यम निवेशक भी शेयर बाजार में सक्रिय रूप से शामिल होने लगे।


#### 3.3. **1991 का आर्थिक सुधार**:

   - 1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण (Liberalization) के बाद शेयर बाजार में तेजी आई। इसके साथ ही, भारत में **प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)** और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) में वृद्धि हुई।

   - सरकार ने **सेबी (Securities and Exchange Board of India)** की स्थापना की, जो भारत के शेयर बाजार को विनियमित करता है। SEBI ने शेयर बाजार की पारदर्शिता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कई सुधार किए।

   - 1992 में, **हर्षद मेहता** घोटाले ने शेयर बाजार के विनियमन की आवश्यकता को उजागर किया। इसके बाद, SEBI ने शेयर बाजार को और अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने के लिए कड़े नियम लागू किए।


#### 3.4. **इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग और इंटरनेट का प्रभाव**:

   - 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, भारत में **इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग** और **इंटरनेट** के प्रसार के कारण शेयर बाजार में व्यापक परिवर्तन हुए। अब लोग ऑनलाइन माध्यम से आसानी से शेयर खरीद और बेच सकते हैं।

   - **ब्रोकरों** और **निवेशकों** के लिए ट्रेडिंग सुविधाजनक हो गई, और अधिक लोग शेयर बाजार में निवेश करने लगे।


### 4. **भारत में शेयर बाजार की वर्तमान स्थिति**:

   - वर्तमान में, भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज हैं: **बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE)** और **नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)**। दोनों ही शेयर बाजारों में भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय कंपनियाँ सूचीबद्ध हैं।

   - भारतीय शेयर बाजार अब वैश्विक निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चुका है, और भारत की अर्थव्यवस्था के विकास में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।

   - भारतीय शेयर बाजार में आज लाखों निवेशक शामिल हैं, और यह निवेशकों के लिए एक प्रमुख निवेश का साधन बन चुका है। भारत में अब **म्यूचुअल फंड**, **ईटीएफ**, और अन्य वित्तीय उत्पादों के माध्यम से भी शेयर बाजार में निवेश करना आसान हो गया है।


### **निष्कर्ष**:

भारत में शेयर बाजार की शुरुआत 19वीं शताब्दी में हुई और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) इसका पहला और प्रमुख केंद्र बना। समय के साथ, शेयर बाजार का विकास हुआ और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के साथ यह और अधिक आधुनिक और संगठित रूप में बदल गया। आज, भारतीय शेयर बाजार देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और निवेशकों के लिए संपत्ति सृजन का एक प्रमुख साधन है।

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