2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (वैश्विक वित्तीय संकट) एक बड़ी आर्थिक आपदा थी
**2008 का ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस (वैश्विक वित्तीय संकट)** एक बड़ी आर्थिक आपदा थी जिसने विश्व की अर्थव्यवस्थाओं को गहरा झटका दिया। इस संकट की शुरुआत संयुक्त राज्य अमेरिका के *सबप्राइम मॉर्गेज* बाजार से हुई थी, लेकिन यह तेजी से पूरी दुनिया में फैल गया। आइए इसके पीछे की कहानी और इसके प्रभावों को समझें:
### 1. **सबप्राइम मॉर्गेज संकट की शुरुआत:**
- अमेरिका में 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में, बैंकों ने जोखिम भरे उधारकर्ता (जिनका क्रेडिट स्कोर खराब था) को उच्च ब्याज दरों पर *सबप्राइम मॉर्गेज* (जोखिम भरे होम लोन) दिए।
- बैंकों और वित्तीय संस्थाओं ने इस उम्मीद में इन कर्ज़ों को दिया कि आवास की कीमतें हमेशा बढ़ती रहेंगी, और यदि उधारकर्ता अपने लोन का भुगतान नहीं कर पाएंगे, तो बैंक उस संपत्ति को बेचकर नुकसान से उबर जाएंगे।
- लेकिन 2007 में, जब आवास बाजार में तेजी से गिरावट आई और मकानों की कीमतें घटने लगीं, तो बड़ी संख्या में उधारकर्ता अपने लोन का भुगतान करने में विफल हो गए। इससे बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।
### 2. **फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स और डेरिवेटिव्स:**
- बैंकों ने इन मॉर्गेज को विभिन्न वित्तीय उत्पादों (जैसे मॉर्गेज-बैक्ड सिक्योरिटीज और डेरिवेटिव्स) में बदल दिया और इन्हें निवेशकों को बेचा।
- इन उत्पादों में भारी जोखिम था, लेकिन उन्हें कम जोखिम के रूप में दिखाया गया, जिससे निवेशक बिना पूरी जानकारी के उनमें निवेश करने लगे।
- जब मॉर्गेज धारक लोन चुकाने में असफल रहे, तो इन वित्तीय उत्पादों का मूल्य तेजी से गिर गया, जिससे कई वित्तीय संस्थाओं को भारी नुकसान हुआ।
### 3. **लीमैन ब्रदर्स का पतन:**
- अमेरिका की प्रमुख निवेश बैंक *Lehman Brothers* ने बहुत सारे सबप्राइम मॉर्गेज में निवेश किया था। जब 2008 में स्थिति बदतर हो गई, तो यह बैंक दिवालिया हो गया। यह घटना वैश्विक वित्तीय संकट का सबसे प्रमुख क्षण था।
- लीमैन ब्रदर्स के पतन ने वित्तीय संस्थाओं के बीच विश्वास की कमी को जन्म दिया और वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला।
### 4. **वैश्विक बैंकिंग संकट:**
- लीमैन ब्रदर्स के पतन के बाद, कई बड़े वित्तीय संस्थान आर्थिक संकट में पड़ गए। अमेरिका की सरकार को *AIG* जैसी बड़ी बीमा कंपनी को बचाने के लिए $85 बिलियन का बेलआउट पैकेज देना पड़ा।
- अमेरिका के अलावा यूरोप और एशिया की कई प्रमुख बैंकिंग संस्थाएँ भी इस संकट की चपेट में आईं।
### 5. **वैश्विक प्रभाव:**
- इस संकट का असर केवल अमेरिका तक सीमित नहीं था। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्थाएँ इससे प्रभावित हुईं। शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट आई और वैश्विक व्यापार और औद्योगिक गतिविधियों में ठहराव सा आ गया।
- कई देशों में बेरोजगारी बढ़ गई, और आम लोग अपने घरों और संपत्तियों को खो बैठे। आर्थिक मंदी के चलते कई कंपनियाँ बंद हो गईं, और लोगों की नौकरियाँ चली गईं।
### 6. **सरकारी हस्तक्षेप और सुधार:**
- संकट से उबरने के लिए सरकारों और केंद्रीय बैंकों ने बड़े पैमाने पर हस्तक्षेप किया। अमेरिका में, *Troubled Asset Relief Program (TARP)* के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को बेलआउट दिया गया।
- *फेडरल रिजर्व* और अन्य केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को कम किया और बड़ी मात्रा में धन की आपूर्ति की, जिससे बाजार में स्थिरता वापस लाई जा सके।
- कई देशों ने वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए कड़े नियम बनाए, ताकि भविष्य में इस तरह के संकट को रोका जा सके।
### 7. **संकट के दीर्घकालिक प्रभाव:**
- 2008 के वित्तीय संकट का वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा। कई विकसित और विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि धीमी हो गई।
- लोगों का बैंकों और वित्तीय संस्थाओं पर से विश्वास उठने लगा, और इसका असर अगले कुछ वर्षों तक दिखाई दिया।
- कई जगहों पर सार्वजनिक ऋण और घाटे में वृद्धि हुई, जिससे सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता भी बढ़ी।
### निष्कर्ष:
2008 का वैश्विक वित्तीय संकट आधुनिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने वैश्विक आर्थिक संरचना को झकझोर दिया। इस संकट ने यह दिखाया कि वैश्विक वित्तीय प्रणाली कितनी आपस में जुड़ी हुई है और एक देश का संकट पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है।
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