बुधवार, 23 अक्टूबर 2024

हरशद मेहता स्कैम (1992): क्या हुआ और कैसे हुआ?

 **हरशद मेहता स्कैम (1992): पूरी कहानी**


### भूमिका:

1992 का हरशद मेहता घोटाला भारतीय शेयर बाजार के इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला था। इसने पूरे देश को हिला कर रख दिया और भारतीय वित्तीय प्रणाली में भारी खामियों को उजागर किया। हरशद मेहता, जिन्हें उस समय "बिग बुल" कहा जाता था, ने भारतीय शेयर बाजार में इतना बड़ा हेरफेर किया कि उसे "बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का जादूगर" कहा जाने लगा। उन्होंने बैंकों और शेयर बाजार की खामियों का फायदा उठाकर एक विशाल वित्तीय घोटाले को अंजाम दिया।


### 1. **कौन थे हरशद मेहता?**

   हरशद मेहता का जन्म 29 जुलाई, 1954 को एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था। वह मुंबई आए और अपनी करियर की शुरुआत बतौर सेल्समैन की। लेकिन उनकी रुचि शेयर बाजार में थी, जिसके कारण उन्होंने 1980 के दशक में स्टॉक ब्रोकिंग में कदम रखा। मेहता ने अपने कैरियर की शुरुआत छोटी-मोटी नौकरियों से की, और धीरे-धीरे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) में एक बड़ा नाम बन गए।


### 2. **घोटाला कैसे हुआ?**

   हरशद मेहता ने बैंकिंग प्रणाली में खामियों का फायदा उठाया और शेयर बाजार में हेरफेर करके करोड़ों रुपये कमाए। उन्होंने बैंकों से बिना कोई गारंटी दिए उधार लिया और उस पैसे को शेयर बाजार में निवेश किया। इस घोटाले का आधार "रसीद" थी, जिसे बैंक रसीद (BRs) कहा जाता था।


#### - **बैंक रसीद घोटाला (Bank Receipt Fraud):**

   बैंक रसीद एक प्रकार का दस्तावेज होता है, जो दो बैंकों के बीच लेन-देन को प्रमाणित करता है। अगर एक बैंक दूसरे बैंक को सरकारी बॉन्ड बेचता है, तो एक बैंक रसीद जारी की जाती है। इस लेन-देन में हरशद मेहता ने बैंकों के नाम पर नकली BRs बनवाए, जो असल में कभी मौजूद नहीं थे। इसके बदले, उन्होंने बैंकों से भारी मात्रा में पैसे उधार लिए और शेयर बाजार में निवेश किया।


#### - **पैसे का उपयोग:**

   इन पैसों का उपयोग करके मेहता ने कुछ प्रमुख कंपनियों के शेयरों की कीमतें बहुत ऊंची कर दीं। इनमें सबसे प्रमुख शेयर *ACC (Associated Cement Company)* का था, जिसकी कीमत 200 रुपये से बढ़कर 9,000 रुपये तक पहुंच गई। मेहता ने इस तरह शेयर बाजार में कृत्रिम बुल रन (शेयर की कीमतों का बढ़ना) पैदा किया।


### 3. **शेयरों की हेराफेरी:**

   मेहता ने जिन शेयरों में भारी निवेश किया, वे अचानक से ऊंची कीमतों पर कारोबार करने लगे। इसका कारण यह था कि मेहता बैंकों से लिए गए पैसे से इन शेयरों की खरीदारी करते रहे, जिससे शेयरों की मांग और कीमतें बढ़ती रहीं। उन्होंने न केवल व्यक्तिगत लाभ कमाया, बल्कि अन्य निवेशकों को भी निवेश करने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि सभी को लग रहा था कि बाजार लगातार ऊपर जा रहा है। 


### 4. **घोटाले का पर्दाफाश:**

   इस घोटाले का खुलासा 1992 में *सूचीता दलाल* नामक पत्रकार ने किया। उन्होंने एक लेख लिखा जिसमें बताया गया कि मेहता ने बैंकों से गलत तरीके से पैसे लिए और शेयर बाजार में हेरफेर किया। इस रिपोर्ट ने पूरे देश में तहलका मचा दिया। जब सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) ने इस मामले की जांच की, तो सारा घोटाला उजागर हो गया।


#### - **जांच का परिणाम:**

   घोटाला सामने आते ही बाजार में भारी गिरावट आई। हजारों निवेशकों का पैसा डूब गया, और शेयर बाजार में भारी अस्थिरता आ गई। लगभग 4,000 करोड़ रुपये का यह घोटाला भारतीय शेयर बाजार में अब तक का सबसे बड़ा माना जाता है।


### 5. **हरशद मेहता की गिरफ्तारी:**

   घोटाला उजागर होने के बाद हरशद मेहता को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर 70 से अधिक आपराधिक आरोप और 600 से अधिक नागरिक आरोप लगे। हालांकि, वह कुछ समय बाद जमानत पर रिहा हो गए। मेहता ने बाद में यह दावा भी किया कि उन्होंने राजनेताओं को घूस दी थी, लेकिन यह साबित नहीं हो सका।


### 6. **प्रभाव और परिणाम:**

   इस घोटाले ने भारतीय बैंकिंग और वित्तीय प्रणाली में कई सुधारों की नींव रखी। सेबी को अधिक शक्तियाँ दी गईं, और बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाई गई। इससे शेयर बाजार में नियंत्रण और विनियमनों को और कड़ा किया गया ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी न हो सके। 


   इसके अलावा, इस घोटाले ने आम निवेशकों के बीच अविश्वास पैदा किया और बाजार से उनका विश्वास टूट गया। कई लोग इस घोटाले के बाद से शेयर बाजार से दूरी बनाने लगे।


### 7. **हरशद मेहता का निधन:**

   31 दिसंबर 2001 को, हरशद मेहता की जेल में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई। उनकी मौत ने इस घोटाले का एक अध्याय समाप्त किया, लेकिन इस घटना ने भारतीय वित्तीय प्रणाली पर गहरे प्रश्नचिन्ह छोड़ दिए।


### निष्कर्ष:

हरशद मेहता स्कैम ने भारतीय वित्तीय प्रणाली की कमजोरियों को उजागर किया और यह दिखाया कि कैसे एक आदमी सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर करोड़ों रुपये कमा सकता है। हालांकि इस घोटाले के बाद कई सुधार किए गए, लेकिन यह घोटाला हमेशा एक चेतावनी के रूप में याद किया जाएगा कि कैसे लालच और भ्रष्टाचार पूरे सिस्टम को हिला सकते हैं।

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