शेयर बाजार के संकेतकों से जुड़े सामान्य मिथक
शेयर बाजार के संकेतकों (market indicators) को लेकर कई सामान्य मिथक (myths) हैं। ये मिथक निवेशकों के निर्णयों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। यहाँ कुछ सामान्य मिथक और उनके पीछे की वास्तविकता दी गई है:
"उच्च पी/ई अनुपात (P/E ratio) मतलब ओवरवैल्यूड (Overvalued) स्टॉक"
मिथक: अधिक पी/ई अनुपात का मतलब होता है कि स्टॉक महंगा है और इसमें गिरावट होगी।
वास्तविकता: उच्च पी/ई अनुपात हमेशा स्टॉक के महंगा होने का संकेत नहीं होता। यह भविष्य में कंपनी के विकास की संभावनाओं को भी दर्शा सकता है। तकनीकी और ग्रोथ सेक्टर की कंपनियाँ अक्सर उच्च पी/ई अनुपात पर ट्रेड करती हैं, क्योंकि उनके ग्रोथ की संभावना अधिक होती है।"बुल और बियर मार्केट्स के दौरान ट्रेडिंग करना गलत है"
मिथक: सिर्फ बुल मार्केट में ही मुनाफा कमाया जा सकता है।
वास्तविकता: बियर मार्केट में भी अच्छी ट्रेडिंग रणनीतियों से मुनाफा कमाया जा सकता है। कुछ निवेशक डेरिवेटिव्स का उपयोग करके गिरावट के समय भी लाभ कमाते हैं।"बाजार के सभी संकेतकों का अनुसरण करना आवश्यक है"
मिथक: जितने ज्यादा संकेतक देखेंगे, उतनी बेहतर ट्रेडिंग होगी।
वास्तविकता: सभी संकेतक जरूरी नहीं कि आपके लिए काम करें। बहुत सारे संकेतकों को देखने से उलझन बढ़ सकती है। अपनी रणनीति के हिसाब से चुनिंदा संकेतकों का अनुसरण बेहतर परिणाम दे सकता है।"ट्रेडिंग वॉल्यूम ज्यादा मतलब खरीदारी का समय है"
मिथक: अधिक ट्रेडिंग वॉल्यूम हमेशा खरीदारी का संकेत है।
वास्तविकता: उच्च वॉल्यूम का मतलब होता है कि स्टॉक में दिलचस्पी बढ़ी है, लेकिन यह हमेशा मूल्य में वृद्धि का संकेत नहीं देता। कभी-कभी वॉल्यूम बढ़ने का कारण बाजार में डर या बिकवाली भी हो सकता है।"तकनीकी संकेतक पूरी तरह सटीक होते हैं"
मिथक: अगर एक तकनीकी संकेतक कहता है कि खरीदें या बेचें, तो यह सही होगा।
वास्तविकता: तकनीकी संकेतक एक संदर्भ प्रदान करते हैं लेकिन पूरी तरह से भविष्यवाणी नहीं करते। बाजार के अन्य कारकों, जैसे कि फंडामेंटल्स और समाचारों को भी ध्यान में रखना चाहिए।"बाजार का मूड बाजार के भविष्य का संकेत है"
मिथक: जब बाजार में जोश या घबराहट हो, तो वैसा ही चलता रहेगा।
वास्तविकता: बाजार का मूड अल्पकालिक होता है और जल्दी बदल सकता है। कई बार भय और लालच के कारण बाजार भावनात्मक रूप से चलते हैं, लेकिन सही फैसले डेटा और फंडामेंटल्स पर आधारित होने चाहिए।"पिछले प्रदर्शन से भविष्य का अनुमान लगाया जा सकता है"
मिथक: एक शेयर जिसने अच्छा प्रदर्शन किया है, भविष्य में भी अच्छा करेगा।
वास्तविकता: पिछले प्रदर्शन की गारंटी नहीं है कि भविष्य में भी वह अच्छा ही रहेगा। बाजार की स्थितियाँ और कंपनी की स्थिति बदल सकती है, इसलिए सिर्फ पिछले रिकॉर्ड पर निर्भर न रहें।
ये मिथक निवेशकों को भ्रमित कर सकते हैं, इसलिए किसी भी संकेतक को समझदारी से और शोध के साथ देखना चाहिए।
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