कैंडलस्टिक चार्ट की सांकेतिक भाषा समझें
कैंडलस्टिक चार्ट एक वित्तीय डेटा प्रस्तुति का तरीका है, जिसका उपयोग आमतौर पर शेयर बाजार और अन्य वित्तीय बाजारों में कीमतों के मूवमेंट को देखने के लिए किया जाता है। यह चार्ट मुख्य रूप से चार प्रमुख तत्वों का उपयोग करता है:
कैंडलस्टिक (Candlestick): प्रत्येक कैंडलस्टिक एक निश्चित समय अवधि के दौरान कीमतों की स्थिति को दर्शाती है। हर कैंडलस्टिक में चार मुख्य भाग होते हैं:
- ओपनिंग प्राइस (Opening Price): वह कीमत जिस पर उस समय अवधि की शुरुआत हुई थी।
- क्लोजिंग प्राइस (Closing Price): वह कीमत जिस पर वह अवधि समाप्त हुई।
- हाई प्राइस (High Price): उस समय अवधि में सबसे उच्च कीमत।
- लो प्राइस (Low Price): उस समय अवधि में सबसे निम्न कीमत।
शेड्स (Shadows): कैंडलस्टिक के ऊपर और नीचे की लंबी रेखाएं, जिन्हें 'शेड्स' कहा जाता है, यह दर्शाती हैं कि उस समय अवधि में कीमतें कितनी ऊपर और नीचे गई थीं।
रंग:
- यदि कैंडल का रंग हरा या सफेद है, तो इसका मतलब है कि क्लोजिंग प्राइस ओपनिंग प्राइस से अधिक है (बुलिश ट्रेंड)।
- यदि कैंडल का रंग लाल या काला है, तो इसका मतलब है कि क्लोजिंग प्राइस ओपनिंग प्राइस से कम है (बेयरिश ट्रेंड)।
ट्रेंड्स (Trends): कैंडलस्टिक चार्ट में विभिन्न प्रकार के पैटर्न होते हैं, जो संभावित कीमतों की दिशा और बदलाव का संकेत देते हैं। जैसे:
- बुलिश इंगोल्फिंग (Bullish Engulfing): जब एक बड़ी हरी कैंडल एक छोटी लाल कैंडल को पूरी तरह से engulf कर लेती है, यह संभावित तेजी का संकेत है।
- बेयरिश इंगोल्फिंग (Bearish Engulfing): इसके विपरीत, जब एक बड़ी लाल कैंडल एक छोटी हरी कैंडल को engulf कर लेती है, तो यह गिरावट का संकेत हो सकता है।
इन तत्वों और पैटर्नों के विश्लेषण से निवेशक और ट्रेडर बाजार की संभावित दिशा और मूवमेंट का अनुमान लगा सकते हैं। कैंडलस्टिक चार्ट की सांकेतिक भाषा को समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह निवेश निर्णय लेने में सहायक हो सकता है।
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