कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते समय याद रखने योग्य बातें
कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए ताकि सही निर्णय लिया जा सके। आइए इन्हें समझते हैं
1. टाइम फ्रेम का चयन
कैंडलस्टिक चार्ट में प्रत्येक कैंडल किसी निश्चित समय अवधि का प्रतिनिधित्व करती है, जैसे 1 मिनट, 5 मिनट, 1 घंटा या 1 दिन। आपका टाइम फ्रेम आपके ट्रेडिंग स्टाइल पर निर्भर करेगा:
- इंट्राडे ट्रेडर के लिए 1 मिनट से 15 मिनट का चार्ट मददगार हो सकता है।
- स्विंग ट्रेडर के लिए 1 घंटे से 4 घंटे का चार्ट अच्छा है।
- लॉन्ग टर्म निवेशक के लिए 1 दिन या उससे ज्यादा का चार्ट सही रहता है।
उदाहरण: अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे हैं तो 5 मिनट के कैंडल का चार्ट लें। इससे आपको दिन में छोटे समय के अंदर कीमत में हो रहे बदलावों का अच्छा अंदाजा मिलेगा।
2. कैंडलस्टिक पैटर्न को पहचानें
कैंडलस्टिक पैटर्न बाजार की दिशा का संकेत देते हैं। कुछ प्रमुख पैटर्न जिन्हें पहचानना जरूरी है:
- डोजी (Doji): जब ओपन और क्लोज कीमत लगभग समान होती है। यह अनिश्चितता का संकेत है।
- हैमर (Hammer): जब कैंडल का लोअर शैडो बड़ा हो और बॉडी छोटी हो। यह संभावित रिवर्सल का संकेत है।
- इनगल्फिंग (Engulfing): जब एक कैंडल पूरी तरह से पिछले कैंडल को कवर कर लेती है। यह भी रिवर्सल का संकेत देता है।
उदाहरण: मान लें कि आपने एक स्टॉक के चार्ट पर डोजी पैटर्न देखा। यह संकेत देता है कि बाजार में अनिश्चितता है और अगले कदम पर ध्यान देना होगा।
3. सपोर्ट और रेजिस्टेंस
चार्ट पर महत्वपूर्ण सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर को पहचानना महत्वपूर्ण है।
- सपोर्ट का मतलब है कि एक स्तर जहाँ कीमत गिरते समय सहारा पा सकती है।
- रेजिस्टेंस का मतलब है कि एक स्तर जहाँ कीमत बढ़ते समय रुक सकती है।
उदाहरण: अगर किसी स्टॉक की कीमत ₹100 पर सपोर्ट ले रही है और ₹120 पर रेजिस्टेंस पा रही है, तो ₹100 के पास खरीदारी करना और ₹120 के पास बेचना लाभकारी हो सकता है।
4. वॉल्यूम पर ध्यान दें
वॉल्यूम दिखाता है कि किसी विशेष कैंडल में कितनी ट्रेडिंग हुई है।
- जब वॉल्यूम के साथ बड़ी कैंडल बनती है, तो उस कैंडल की दिशा को मजबूत समझा जा सकता है।
- यदि वॉल्यूम कम हो और बड़ी कैंडल बने, तो उस कैंडल पर भरोसा करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है।
उदाहरण: अगर कोई बुलिश कैंडल बनती है और वॉल्यूम बढ़ता है, तो यह संकेत देता है कि कीमत और बढ़ सकती है।
5. ट्रेंड की पहचान करें
कैंडलस्टिक चार्ट को देखकर ट्रेंड की दिशा (बुलिश, बियरिश या साइडवेज) को पहचानें।
- अपट्रेंड: ऊंचे हाई और ऊंचे लो बनते हैं।
- डाउनट्रेंड: निचले हाई और निचले लो बनते हैं।
- साइडवेज: जब कीमत एक निश्चित दायरे में घूमती रहती है।
उदाहरण: अगर किसी स्टॉक का चार्ट लगातार ऊंचे हाई और ऊंचे लो दिखा रहा है, तो यह अपट्रेंड का संकेत है।
संक्षेप में:
- टाइम फ्रेम का चयन करें
- कैंडलस्टिक पैटर्न को पहचानें
- सपोर्ट और रेजिस्टेंस स्तर को ध्यान में रखें
- वॉल्यूम की पुष्टि करें
- ट्रेंड की दिशा समझें
इन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर आप कैंडलस्टिक चार्ट का सही से विश्लेषण कर सकते हैं और सही ट्रेडिंग निर्णय ले सकते हैं।
हमारे साथ जुड़ने और शेयर मार्केट के अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक से अकाउंट ओपन कीजिए
Professional trading
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts mail me
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें [Atom]
<< मुख्यपृष्ठ